खिलो कमल सा तुम मैं कीचड़ पर पानी सा फैला हूँ
शांत रहूँ तो साफ़ दीखता पर अन्दर से मैला हूँ
दूँगा तुमको पोषण मैं चाहे जितना विस्तार करो
पर पोषक कीचड़ और पानी से भी थोडा प्यार करो
खिलो कमल सा तुम मैं कीचड़ पर पानी सा फैला हूँ
शांत रहूँ तो साफ़ दीखता पर अन्दर से मैला हूँ
दूँगा तुमको पोषण मैं चाहे जितना विस्तार करो
पर पोषक कीचड़ और पानी से भी थोडा प्यार करो
भाई …कविता क्या होती है …आज पता चला ..इन पंग्तियो को पढ़कर …जय हो